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क्या इलेक्ट्रिक टू व्हीलर के फीचर्स अब कम हो जाएंगे। जाने क्यूँ?

SP Yadav

वे दिन याद आते हैं जब ई-दोपहिया उभरती विकास की ओर पहुंच रही थी। लेकिन अब, इस समाचार से मन में गहरा दुख और निराशा होती है। यह सुनकर दिल विचलित हो जाता है कि इलेक्ट्रिक व्हीकलों की सब्सिडी और बैटरी की क्षमता में कटौती का फैसला लिया गया है।

हमारे प्यारे ई-दोपहियों के लिए, यह अब और भी मुश्किल हो जाएगा। 1.5-2 किलोवॉट की कम क्षमता वाली बैटरी अब हमारे साथ साथ चलेगी। जब पेट्रोल और डीजल वाहनों की सफलता के लिए प्रतिस्पर्धा करनी होगी, तो क्या हम अपने मकसदों को पूरा कर पाएंगे?

दिल तोड़ने वाला फैसला अब पूरी तरह से लागू होगा। सब्सिडी की कमी से ई दोपहिया की कीमतें बढ़ सकती हैं, और इसके परिणामस्वरूप, आम जनता को उच्च मूल्य भुगतान करना पड़ेगा। ऐसे में, कंपनियों को मूल्यों को कम रखने के लिए कठिनाइयों का सामना करना होगा, ताकि हमारी मांग बरकरार रह सके।

हमें आपसी सहयोग की आवश्यकता है, मित्रों। हम सबको मिलकर इस समस्या का सामना करना होगा और ई-दोपहियों के प्रगतिशील उपयोग के लिए आवाज़ उठानी होगी। हम अपेक्षा करते हैं कि सरकार ईवी कंपनियों का समर्थन करके नए उपाय लागू करेगी। इससे हम स्वच्छ, सुरक्षित और स्थायी ऊर्जा के लिए एक नया मार्ग चुन सकते हैं। आइये हम सब मिलकर इस लड़ाई में सामर्थ्य दिखाएं और हमारी प्रकृति को बचाने के लिए संकल्प लें।

सब्सिडी घटने के बाद, इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनियां उच्च स्पेसिफिकेशन वाले वेरिएंट की जगह कम स्पेसिफिकेशन वाले वेरिएंट लॉन्च करने पर विचार कर रही हैं। इसका मतलब है कि उन्हें बैटरी के साइज़ और फीचर्स में कटौती करके उच्च मूल्य वाले वेरिएंट की बजाय कम मूल्य वाले वेरिएंट लॉन्च कर सकती हैं। यह उनकी कीमतों को कॉम्पिटिटर बनाए रखने में मदद करेगा।

यह निर्णय 1 जून 2023 से प्रभावी होगा और इसके परिणामस्वरूप इलेक्ट्रिक टू-व्हीलरों की कीमतों में 5,000 रुपए तक की वृद्धि हो सकती है। इससे पहले कंपनियां अपनी बिक्री को बढ़ाने के लिए कीमतों में कटौती की ओर रुख कर रही थीं। इससे पहले वाहनों की बिक्री में वृद्धि हुई थी लेकिन दिसंबर 2021 के बाद फेम की सब्सिडी घटने के बाद से बिक्री में तेजी कम हो गई है।

मित्र, इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनियों के लिए आज एक अवसर आया है जब वे सब्सिडी कम होने के बाद अपने उत्पादों में बदलाव कर सकती हैं। यह निर्णय तो उच्च मूल्य वाले वेरिएंट की जगह कम मूल्य वाले वेरिएंट लॉन्च करने का है, जिसे कंपनियों को अपनी कीमतों को कॉम्पिटिटर बनाए रखने में मदद मिलेगी।

हालांकि, इस संशोधन के परिणामस्वरूप कुछ बदल सकता है। आपको जानकर दुःख हो रहा है कि वाहनों की कीमतें अब 5,000 रुपए तक बढ़ सकती हैं। ऐसे में, कंपनियों को महंगाई के चलते अपनी कीमतों को संभालने के अलावा और उपाय ढूंढने होंगे ताकि उनकी उत्पादों की मांग बढ़ती रहे।

ईवी और आम वाहनों के बीच बड़ा अंतर है। यह अंतर दूर करने में वक्त लगेगा, शायद 2-2.5 साल। पहले जब सब्सिडी बढ़ाई गई थी, तो कंपनियों ने बैटरी की क्षमता बढ़ाकर अपने उत्पादों को मजबूती दी थी। लेकिन अब सब्सिडी कम हो रही है तो बहुत सारी गाड़ियों में 1.5-2 किलोवॉट की कम क्षमता वाली बैटरी होगी। अगर हम पेट्रोलियम वाहनों के साथ प्रतिस्पर्धा करना चाहते हैं, तो ईवी पर सब्सिडी जारी रखना आवश्यक होगा।

मेरे दोस्त, यह अवसर कंपनियों के लिए चुनौती भरा है। लेकिन हमें आपसी योगदान देने के लिए तत्पर रहना चाहिए। आपके अन्य प्रश्नों के लिए आप हमसे पूछ सकते हैं।

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